रविवार, 10 नवंबर 2013

दोहरा शतक फिर भी नाबाद

जब तक यह लेख आपलोगों पढ रहे होगें तबतक तो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर अपना आखरी टेस्ट मैच खेल चुके होगें और साथ ही इसे अलविदा कह भी कह देगें। जब भी विश्व के बेहतरीन क्रिकेटरों का नाम आता है तो सचिन तेंदुलकर को इस श्रेणी में शीर्ष स्थान पर रखा जाता है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर ने यूं तो अपने जीवन में कई रिकॉर्ड बनाए और तोड़े हैं। जिसे तोड़ पाना शायद किसी के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. क्रिकेट मैदान में भले ही सचिन अपने प्रतिद्वंदियों को टिकने का मौका नहीं देते लेकिन यह बात भी सच है कि ना सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी सचिन के चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। सचिन तेंदुलकर की लोकप्रियता का आलम यह है कि टीम इंडिया के अन्य खिलाड़ियों के साथ-साथ विश्व की लगभग सभी क्रिकेट टीमों के अलवा और भी दूसरे खेल खिलाड़ी उन्हें एक महान क्रिकेटर का दर्जा देते हैं। इतना ही नहीं वह हर उभरते हुए खिलाड़ी के मुख्य प्रेरणास्त्रोत भी हैं। जुनून के साथ मैदान में उतरने वाले सचिन तेंदुलकर स्वभाव से बेहद धार्मिक और परिवार के प्रति पूर्ण समर्पित हैं
सचिन रमेश तेंदुलकर का शुरुआती जीवन
24 अप्रैल, 1973 को सचिन तेंदुलकर का जन्म मुंबई के एक राजापुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर, मराठी भाषा के एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार और संगीतकार सचिन देव बर्मन के बहुत बड़े प्रशंसक थे, इसीलिए उन्होंने सचिन को उनका नाम दिया था। सचिन ने शारदाश्रम विद्यामंदिर में अपनी शिक्षा ग्रहण की. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने वहीं कोच रमाकांत अचरेकर के सान्निध्य में अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया। तेज गेंदबाज बनने के सपने को सजोय हुये उन्होंने एम.आर.एफ. पेस फाउंडेशन के अभ्यास कार्यक्रम में शिरकत की पर वहां तेज गेंदबाजी के कोच डेनिस लिली ने उन्हें पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी। सचिन के बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने ही उन्हें क्रिकेट में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित किया था.


उत्कृष्ट क्रिकेटर के रूप में सचिन
5 जनवरी 1971 को जब एक दिवसीय क्रिकेट की शुरूआत हुई थी तो किसी ने यह सोचा भी नही होगा कि क्रिकेट के भगवान समझे जाने वाले रिकॉर्डो के बादशाह सचिन तेंदुलकर क्रिकेट कि दुनिया का लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम कर लेगे 29 जुलाई 2010 को उन्होने श्रीलंका के खिलाफ 203 रन बनाकर डॉन ब्रैडमैन को 150 से अधिक स्कोर बनाने के रिकॉर्ड को तोड दिया यह सचिन का 19वां मौका था जब सचिन ने क्रिकेट में 150 से अधिक का स्कोर बनाया। इस के साथ ही डॉन ब्रैडमैन के क्रिकेट में 18 बार 150 से अधिक रन बनाने के रिकार्ड को सचिन ने तोड दिया और ब्रायन लारा के 19 बार 150 रनो से अधिक के रिकार्ड की बराबरी कर ली। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिस में मैच की आखिरी गेंद पर भी चमत्कार हो सकता है। आज से लगभग चौबीस साल पहले 16 साल के सचिन ने जब पाकिस्तान की धरती पर अपने कैरियर की शुरूआत की थी तब क्रिकेट के विषेषज्ञो ने सचिन को तुनक मिजाज क्रिकेटर बताया था। और जोखिम वाले शाट्स खेलने की उन की आदत को देखते हुए उस वक्त क्रिकेट के समीक्षक अन्दाजा लगा रहे थे की ये बच्चा क्रिकेट के मैदान पर लम्बी रेस का घोडा नही बन पायेगा। लेकिन अपने चौबीस साल के कैरियर में जितनी खूबसूरत और यादगार पारिया सचिन ने क्रिकेट के मैदानो में खेली है वो गवाह है इस महान बल्लेबाज की गवाही देने के लिये की आज तक के क्रिकेट इतिहास में ऐसा महान बल्लेबाज दुनिया में पैदा नही हुआ।
ये सब यू अचानक ही नही हुआ। अपने क्रिकेट गुरू रमाकांत अचरेकर की देख रेख में सचिन ने मुम्बईया उमस और कडी धूप में घन्टो अभ्यास किया। वैसे एक हकीकत यह भी है कि मेहनत और अभ्यास तो सभी करते है फिर सारे क्रिकेटर सचिन क्यो नही बने तो यहां ये कहना पडता है कि सचिन में एक मैजिक टच दिखता है। तकनीक ,निरंतरता ,और मजबूत एकाग्रता सचिन में अपने खालिसपन के साथ मौजूद है। आज चौबीस साल के उन के क्रिकेट कैरियर में दुनिया का कोई भी गेंदबाज उन की कमी को नही भाप सका। उन की मैदान पर एकाग्रता देखने वाली होती है। शतक पूरा करने के बाद भी ऐसा महसूस होता है कि सचिन ने पारी की शुरूआत अभी की है। पीठ की चोट हो कंधे की चोट या टखने की चोट सचिन की रनो की भूख कोई चोट नही रोक पाई। वन डे हो या टेस्ट क्रिकेट आज सचिन तेन्दुलकर रनो के माऊन्ट ऐवरेस्ट पर बैठे है। क्रिकेट में शतको के  शतक का विश्व रिकार्ड इन के नाम दर्ज हो गया है। ये शतक एक ओर जहॅा उन्हे रन मशीन का खिताब देते है। साथ ही क्रिकेट की दुनिया में अकेले बल्लेबाज की बादशाहत का सचिन उदाहरण है।
सचिन ने अर्न्तराष्ट्रीय वन-डे क्रिकेट में पहली डबल सेन्चुरी बनाकर क्रिकेट के आसमान पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 24 फरवरी 2010 को दर्शकों से खचाखच भरे ग्वालियर के रूप सिॅह स्टेडियम में हिन्दुस्तान का नाम सुनहरे लफजो में लिख दिया। इस महान बल्लेबाज ने अपनी इस ऐतिहासिक पारी में 147 गेंदो का सामना कर 25 चौके 3 छक्के लगाये। इस यादगार पारी में सचिन ने कई रिकार्ड तोडे। उन्होने भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव के नाबाद 175 रन की पारी का स्कोर पार किया फिर जॉक कैलिस की गेंद पर चौका जमाकर अपने 186 रन के रिकार्ड की बराबरी की जो इन्होने 1999 में हैदराबाद में न्यूजीलैण्ड के खिलाफ बनाया था।सचिन ने अपनी इसी पारी में पाकिस्तान के सईद अनवर के 1997 में भारत के खिलाफ चैन्नई में व जिम्बाब्वे के चार्ल्स कावेंट्री में बंगला देश के खिलाफ 2009 में बनाये नाबाद 194 रन के रिकार्ड को तोडकर मास्टर ब्लास्टर ने वायने पार्नेल की गेंद पर दो रन लेकर विश्व रिकार्ड अपने नाम किया और फिर लागवेल्ट के अन्तिम ओवर में एक रन लेकर 200 रन के जादुई संख्या को छूकर क्रिकेट का ये भगवान रनो के एवरेस्ट पर पहुंच गया।                                                            
क्रिकेट के मैदान में रोज रोज खिलाडियो में तू तू मै मै सुनने और देखने को मिलती है पर सचिन को आज तक किसी भी क्रिकेट प्रेमी ने संयम खोते या किसी छोट या बडे खिलाडी के साथ उलझते हुए नही देखा होगा। विश्व रिकाडो के अलावा सचिन के व्यवहार ने भी उन्हे महान बनाया है। सचिन के कैरियर में अम्पायरों द्वारा कई बार उन्हे गलत आउट दिया गया और सचिन ने हर बार अम्पायर के गलत निर्णय का भी स्वागत किया,  मान रखा और बिना कुछ कहे पवेलियन चले गये। सचिन के खेल और व्यक्तित्व का ही जादू है कि डॉन बै्रडमेन, शेन वॉर्न, गैरी सोबर्स, ब्रायन लारा ,रिचर्ड हेडली,  रिचडर्स,  सईद अनवर, जावेद मियॉदाद,  जैसे क्रिकेट के दिग्गज सचिन के कायल रहे है। सचिन ने खेल को हमेशा खेल की भावना से खेला है।
आज सचिन बुलन्दी के जिस शिखर पर पहुच चुके है उन्हे वहा तक पहुंचाने में सचिन के आलोचको का बहुत बडा योगदान है क्योकि जब जब मीडिया या क्रिकेट पंडितो ने सचिन के खेल की ये कहकर आलोचना की के अब सचिन थक गये है। उन में वो क्षमता नही रही उन का खेल फीका पडने लगा है। सचिन दबाव के दौरान अपना बेहतर प्रर्दशन नही कर पाते है और उन में लम्बी पारिया खेलने की क्षमता अब नही रही है तब तब सचिन और अच्छा खेले है। वर्ल्ड कप जितने का सपना पूरा होने पर उनके साथी खिलाड़ीयों ने उन्हें कंधों पर उठा लिया ऐसा सम्मान विरलय ही किसी को मिलता है। सचिन क्रिकेट को क्रिकेट का भगवान कहना प्रशंसको की भावना हो सकता है लेकिन उनके द्वारा क्रिकेट के मैदान पर प्रदर्शित किया गया खेल को कोई भूल नहीं सकता चाहे उनके प्रशंसक हो या आलोचक।
सचिन तेंदुलकर को प्रदान व्यक्तिगत सम्मान और उनकी उपलब्धियां
  • सर गार्फील्ड सोबर्स ट्रॉफी फॉर क्रिकेटर ऑफ द ईयर – 2010
  • पद्म विभूषण – 2008
  • आइसीसी वर्ल्ड ओडीआई इलेवन 2004 – 2007
  • राजीव गांधी अवॉर्ड (खेल) – 2005
  • प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट – 2003 क्रिकेट वर्ल्ड कप
  • महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड – 1999
  • पद्मश्री – 1999
  • अर्जुन अवॉर्ड – 1994
कीर्तिमान स्थापित
  • मीरपुर में बांग्लादेश के खिलाफ सचिन तेंडुलकर ने अपना 100वां शतक पूरा कर लिया।
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले खिलाड़ी बने।
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा रन (18000 से अधिक)
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा 49 शतक
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय के विश्व कप मुक़ाबलों में सबसे ज्यादा रन
  • टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक (51)
  • टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का कीर्तिमान (15000 से अधिक)। 
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन आफ् द सीरीज
  • एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन आफ् द मैच
  • अन्तरराष्ट्रीय मुक़ाबलो में सबसे ज्यादा 30000 से अधिक रन बनाने का कीर्तिमान्
रेकॉर्ड, जो सचिन से रह गए दूर

  • सचिन ने टेस्ट क्रिकेट में 6 बार डबल सेंचुरी बनाई, लेकिन वह कभी 300 रन का आंकड़ा नहीं छू सके।
  • सचिन कभी भी एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में सेंचुरी लगाने का रेकॉर्ड नहीं बना सके।
  • सचिन कभी लगातार तीन टेस्ट मैच में सेंचुरी नहीं लगा सके।
  • एक ही सीरीज में 500 रन बनाना भी उनकी पहुंच से दूर ही रहा। उनके नाम सबसे ज्यादा 493 रन का रेकॉर्ड है।
  • सचिन कभी एक ही सीरीज में तीन सेंचुरी नहीं लगा सके।
  • सचिन क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान कभी सेंचुरी नहीं लगा सके। यहां उनका सर्वोच्च स्कोर 37 रन रहा जो उन्होंने जुलाई 2007 में बनाया।
  • सचिन आगामी सीरीज में अपने 200 टेस्ट मैच पूरे करेंगे, लेकिन वह लगातार 100 टेस्ट मैच खेलने का रेकॉर्ड नहीं बना सके।
  • सचिन ने भारत के लिए टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 14 मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड जीते, लेकिन वह वर्ल्ड रेकॉर्ड से काफी पीछे रहे।
  • सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज का भारतीय रेकॉर्ड सचिन और सहवाग (5-5 बार) के नाम है, जबकि वर्ल्ड रेकॉर्ड श्रीलंका के मुरलीधरन के नाम (11 बार) है।